मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

गौरवशाली चौहान वंश



                                     चौहान वंश

   
   अग्निवंश के सम्मेलन कर्ता ऋषि

१. वत्सम ऋषि, २. भार्गव ऋषि, ३. अत्रि ऋषि, ४. विश्वामित्र, ५. चमन ऋषि




विभिन्न ऋषियों ने प्रकट होकर अग्नि में आहुति दी तो विभिन्न चार  वंशों की उत्पत्ति हुयी जो इस इस प्रकार से है-

१. पाराशर ऋषि ने प्रकट होकर आहुति दी तो परिहार की उत्पत्ति हुयी ( पाराशर गोत्र )
. भारद्वाज ऋषि ने आहुति दी तो सोलंकी की उत्पत्ति हुयी ( भारद्वाज गोत्र )

. वत्स ऋषि ने आहुति दी तो चतुर्भुज चौहान की उत्पत्ति हुयी ( वत्स गोत्र )

. वशिष्ठ ऋषि की आहुति से परमार की उत्पत्ति हुयी ( वशिष्ठ गोत्र )





चौहानों की उत्पत्ति आबू शिखर मे हुयी

दोहा-
चौहान को वंश उजागर है,जिन जन्म लियो धरि के भुज चारी,
बौद्ध मतों को विनास कियो और विप्रन को दिये वेद सुचारी॥


चौबीस शाखायें चौहानों की


चौहान की कई पीढियों के बाद अजय पाल जी महाराज पैदा हुये जिन्होने आबू पर्वत छोड कर अजमेर शहर बसाया . अजमेर मे पृथ्वी तल से १५ मील ऊंचा तारागढ किला बनाया जिसकी वर्तमान में १० मील ऊंचाई है, महाराज अजयपाल जी चक्रवर्ती सम्राट हुये. इसी में कई वंश बाद माणिकदेवजू हुये,जिन्होने सांभर झील बनवाई थी। सांभर बिन अलोना खाय,माटी बिके यह भेद कहाय" इनकी बहुत पीढियों के बाद माणिकदेवजू उर्फ़ लाखनदेवजू हुये. इनके चौबीस पुत्र हुये और इन्ही नामो से २४ शाखायें चलीं चौबीस शाखायें इस प्रकार से है -------

१.    मुहुकर्ण जी उजपारिया या उजपालिया चौहान पृथ्वीराज का वंश

२.   लालशाह उर्फ़ लालसिंह मदरेचा चौहान जो मद्रास में बसे हैं

३.   हरि सिंह जी धधेडा चौहान बुन्देलखंड और सिद्धगढ में बसे है

४.   सारदूलजी सोनगरा चौहान जालोर झन्डी ईसानगर मे बसे है

५.   भगतराजजी निर्वाण चौहान खंडेला से बिखराव

६.   अष्टपाल जी हाडा चौहान कोटा बूंदी गद्दी सरकार से सम्मानित २१ तोपों की सलामी

७.   चन्द्रपाल जी भदौरिया चौहान चन्द्रवार भदौरा गांव नौगांव जिला आगरा

८.  चौहिल जी चौहिल चौहान नाडौल मारवाड बिखराव हो गया

९.  शूरसेन जी देवडा चौहान सिरोही (सम्मानित)

१०. सामन्त जी साचौरा चौहान सन्चौर का राज्य टूट गया

११.  मौहिल जी मौहिल चौहान मोहिल गढ का राज्य टूट गया

१२. खेवराज जी उर्फ़ अंड जी वालेगा चौहान पटल गढ का राज्य टूट गया बिखराव

१३. पोहपसेन जी पवैया चौहान पवैया गढ गुजरात

१४. मानपाल जी मोरी चौहान चान्दौर गढ की गद्दी

१५. राजकुमारजी राजकुमार चौहान बालोरघाट जिला सुल्तानपुर में

१६. जसराजजी जैनवार चौहान पटना बिहार गद्दी टूट गयी

१७. सहसमल जी वालेसा चौहान मारवाड गद्दी

१८. बच्छराजजी बच्छगोत्री चौहान अवध में गद्दी टूटगयी.

१९. चन्द्रराजजी चन्द्राणा चौहान अब यह कुल खत्म हो गया है

२०. खनगराजजी कायमखानी चौहान झुन्झुनू मे है लेकिन गद्दी टूट गयी है,मुसलमान बन गये है

२१. हर्राजजी जावला चौहान जोहरगढ की गद्दी थे लेकिन टूट गयी.

२२. धुजपाल जी गोखा चौहान गढददरेश मे जाकर रहे.

२३. किल्लनजी किशाना चौहान किशाना गोत्र के गूजर हुये जो बांदनवाडा अजमेर मे है

२४. कनकपाल जी कटैया चौहान सिद्धगढ मे गद्दी (पंजाब)


उपरोक्त प्रशाखाओं में अब करीब १२५ हैं
बाद में आनादेवजू पैदा हुये
आनादेवजू के सूरसेन जी और दत्तकदेवजू पैदा हुये
सूरसेन जी के ढोडेदेवजी हुये जो ढूढाड प्रान्त में था
ढोडेदेवजी के चौरंगी-— सोमेश्वरजी --— कान्हदेवजी हुये

सोम्श्वरजी को चन्द्रवंश में उत्पन्न अनंगपाल की पुत्री कमला ब्याही गयीं थीं

सोमेश्वरजी के पृथ्वीराजजी हुये
 
पृथ्वीराजजी के-
रेनसी कुमार जो कन्नौज की लडाई मे मारे गये

अक्षयकुमारजी जो महमूदगजनवी के साथ लडाई मे मारे गये

बलभद्र जी गजनी की लडाई में मारे गये

इन्द्रसी कुमार जो चन्गेज खां की लडाई में मारे गये

पृथ्वीराज ने अपने चाचा कान्हादेवजी का लडका गोद लिया जिसका नाम राव हम्मीरदेवजू था

हम्मीरदेवजू के-दो पुत्र हुये रावरतन जी और खानवालेसी जी

रावरतन सिंह जी ने नौ विवाह किये थे और जिनके अठारह संताने थीं,
सत्रह पुत्र मारे गये
एक पुत्र चन्द्रसेनजी रहे
चार पुत्र बांदियों के रहे

खानवालेसी जी हुये जो नेपाल चले गये और सिसौदिया चौहान कहलाये.

रावरतन देवजी के पुत्र संकट देवजी हुये

संकटदेव जी के छ: पुत्र हुये
१. धिराज जू जो रिजोर एटा में जाकर बसे इन्हे राजा रामपुर की लडकी ब्याही गयी थी
२. रणसुम्मेरदेवजी जो इटावा खास में जाकर बसे और बाद में प्रतापनेर में बसे
३. प्रतापरुद्रजी जो मैनपुरी में बसे
४. चन्द्रसेन जी जो चकरनकर में जाकर बसे
५. चन्द्रशेव जी जो चन्द्रकोणा आसाम में जाकर बसे इनकी आगे की संतति में सबल सिंह चौहान हुये जिन्होने महाभारत पुराण की टीका लिखी.

मैनपुरी में बसे राजा प्रतापरुद्रजी के दो पुत्र हुये
१. राजा विरसिंह जू देव जो मैनपुरी में बसे

२. धारक देवजू जो पतारा क्षेत्र मे जाकर बसे

मैनपुरी के राजा विरसिंह जू देव के चार पुत्र हुये
१. महाराजा धीरशाह जी इनसे मैनपुरी के आसपास के गांव बसे

२. राव गणेशजी जो एटा में गंज डुडवारा में जाकर बसे इनके २७ गांव पटियाली आदि हैं

३. कुंअर अशोकमल जी के गांव उझैया अशोकपुर फ़कीरपुर आदि हैं

४. पूर्णमल जी जिनके सौरिख सकरावा जसमेडी आदि गांव हैं

महाराजा धीरशाह जी के तीन पुत्र हुये
१. भाव सिंह जी जो मैनपुरी में बसे

२. भारतीचन्द जी जिनके नोनेर कांकन सकरा उमरैन दौलतपुर आदि गांव बसे

२. खानदेवजू जिनके सतनी नगलाजुला पंचवटी के गांव हैं

खानदेव जी के भाव सिंह जी हुये
भावसिंह जी के देवराज जी हुये
देवराज जी के धर्मांगद जी हुये

धर्मांगद जी के तीन पुत्र हुये

१. जगतमल जी जो मैनपुरी मे बसे

२. कीरत सिंह जी जिनकी संतति किशनी के आसपास है

३. पहाड सिंह जी जो सिमरई सहारा औरन्ध आदि गावों के आसपास हैं